hindi kavita........ (Meri kuch pasandeeda kavitaayein)
- 26 Posts
- 159 Comments
कितनी अच्छी हो तुम, माँ !
कह सकता हूँ तुमसे
मन की सारी बातें,
यह कि मेरे दोस्त आएँ
तो अंदर ही रहना,
सामने आओ भी
तो अच्छी साड़ी पहन
बाल संवारकर आना
और दूरवाली कुर्सी पर बैठना.
उनकी नमस्ते का उत्तर
हाथ जोड़कर देना,
हो सके तो चुप ही रहना,
बोलना ही हो तो
ज़रा ध्यान रखना,
शर्म को सर्म,
ग़ज़ल को गजल मत कहना.
उनके सामने चाय न पीना,
सुड़कने की आवाज़ आएगी.
मेरी इतनी सी बात मानोगी न,
मेरी अच्छी,प्यारी, माँ ?
…
…
…
(ओंकार केडिया)
Read Comments