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हर्फ …इक नज़्म

hindi kavita........ (Meri kuch pasandeeda kavitaayein)
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आज इक नज़्म पोस्ट करना चाहती हूँ , मगर माफ़ कीजियेगा मैं इस नज़्म के शायर का नाम नहीं जानती , मगर ये नज़्म मुझे बेहद पसंद है नज़्म का उन्वान है …..
……….
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हर्फ़

हम दोनों जो हर्फ़ हैं ..
हम इक रोज़ मिले
इक लफ्ज़ बना ..
और हमने इक मायने पाए …
फिर जाने क्या हम पर गुजरी ..
और अब यूँ हैं ..
तुम इक हर्फ़ हो , इक खाने में
मैं इक हर्फ़ हूँ , इक खाने में
बीच में …
कितने लम्हों के खाने खाली हैं …
फिर से कोई लफ्ज़ बने …
और हम दोनों इक मायने पाएं
ऐसा हो सकता है
लेकिन……
सोचना होगा
इन खाली खानों में हमें भरना क्या है ……………
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हर्फ़ = वर्ण (अल्फाबेट)
लफ्ज़= अक्षर (वर्ड)

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